अक्षय वट - तीर्थ नगरी शुक्रताल
अक्षय वट वृक्ष लगभग 5100 वर्ष पुराना चमत्कारी वृक्ष है l जिसकी शाखाएं 150 फीट की ऊंची व विशाल हैं l ऐसा मन जाता है कि इस दिव्या वृक्ष के नीचे बैठकर ऋषि सुखदेव ने ७ दिन तक अर्जुन के पोते, रजा परीक्षित तथा ऋषि मुनियों को श्रीमद भगवत पूरण की कथा सुनाई थी l इसी करना से यह वृक्ष देवत्व, सत्य, क्षमा और पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। पौराणिक वट वृक्ष के बारे में मान्यता है कि पतझड़ के दौरान इसका एक भी पत्ता सूखकर जमीन पर नहीं गिरता अर्थात इसके पत्ते कभी सूखते नहीं है और इसका एक विशेष गुण यह भी है कि इस विशाल वृक्ष में कभी जटाएं उत्पन्न नहीं हुई। भक्तजन इस वृक्ष की परिक्रमा कर अपनी कामनाएं पूरी करने के लिए चारों ओर एक लाल धागा बांधते है।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट देहरादून है l जो लगभग १२६ किलोमीटर दूर है l दूसरा निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गाँधी नयी दिल्ली अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो लगभग १३३ किलोमीटर दूर है l
ट्रेन द्वारा
निकटतम रेलवे स्टेशन मुज़फ्फरनगर है जो २८ किलोमीटर दूर हैं l
सड़क के द्वारा
भोपा प्राइवेट बस स्टैंड और मुज़फ्फरनगर रोडवेज बस स्टैंड से शुक्रताल के लिए नियमित बस सेवा है l शुक्रताल मुज़फ्फरनगर से २८ किलोमीटर दूर है l