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 शुक्रताल की नक्षत्र वाटिका

 शुक्रताल की नक्षत्र वाटिका पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। पौराणिक नगरी शुक्रताल आने वाले पर्यटक व श्रद्धालु नक्षत्र वाटिका जरूर जाते हैं। नक्षत्र वाटिका की सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खिंचने पर विवश कर देती है। यहां का सौंदर्य लोगों को आकर्षित करता है। हरियाली से परिपूर्ण नक्षत्र वाटिका पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी बेहतर साबित हो रही है। समय-समय पर नक्षत्र वाटिका के सुंदरीकरण व सुधार के लिए प्रशासन व नेताओं से सहयोग भी मिलता रहता है। नक्षत्र वाटिका की देखरेख का जिम्मा पांच सदस्यीय टीम को दी गई है, जो इसकी निगरानी करती है।

महाभारतकालीन पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रताल में गंगा किनारे स्थापित हनुमद्धाम नक्षत्र वाटिका नक्षत्र, नव ग्रह व पंचवटी वृक्षों के कारण आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। दूरदराज क्षेत्रों से श्रद्धालु देखने आते हैं। हनुमद्धाम के पीठाधीश्वर स्वामी केशवानंदजी महाराज का कहना है कि भारतीय संस्कृति में वृक्षों और नक्षत्रों को मानव जीवन की भावुकता से उत्कर्ष आनंदानुभूति से अभिन्न माना गया है। ऋषियों की संस्कृति के अनुसार प्रत्येक नक्षत्र का वृक्ष भी निश्चित है जो मनुष्य अपने जन्म नक्षत्र वृक्ष का सेवा भाव से पालन-पोषण, वर्धन और रक्षा करता है उस मानव के जीवन में पुण्य की प्राप्ति होकर हर प्रकार से कल्याण होता है। हनुमद्धाम नक्षत्र वाटिका में रोपित सभी नक्षत्र, नव ग्रह, पंचवटी व वृक्षों एवं अन्य पुष्पों का दृश्य बड़ा ही मनोरम एवं दर्शनीय है, जिसका रक्षण, विकास संवर्धन सभी के सहयोग से ही संभव हो सका है। नक्षत्र वाटिका का लोकार्पण आठ अप्रैल 2001 को तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने अपने ही जन्म नक्षत्र का वृक्ष जामुन का रोपण कर किया था।

नक्षत्र वाटिका की शोभा बढ़ा रहे वृक्ष

नक्षत्र वाटिका में कुचिला, आंवला, गूलर, जामुन, खैर, शीशम, बांस, पीपल, नांगकेसर, बरगद, ढाक, पाकड, रीठा, बेल, अर्जुन, विकंकत, मोलश्री, चीड़, साल, जलवेतस, कटहल, मदार, शमी, कदंब, आम, नीम, महुआ के साथ देवताओं के कहे जाने वाले पेड़ कल्पवृक्ष भी स्थापित हैं।

बच्चों के मनोरंजन को बनी है पशु पक्षियों की प्रतिमाएं

नक्षत्र वाटिका में बच्चों के मनोरंजन को पशु पक्षियों मोर, मगरमच्छ, शेर, सर्प, डाइनासोर, मछलियां, जिराफ, हाथी व मेढक की मनमोहक पाषाण प्रतिमाएं स्थापित हैं। वाटिका में बालक प्रतिमाओं के साथ दिन भर आनंद लेते हुए साथ खूब फोटो ¨खचवाते हैं। नक्षत्र वाटिका के मुख्य द्वार पर खड़े दो पहरेदारों की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं को खूब लुभाती है।

फोटो गैलरी

  • नक्षत्र वाटिका दृष्य
  • डाइनोसॉर मूर्ति - नक्षत्र वाटिका
  • नक्षत्र वाटिका लॉन

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट देहरादून है l जो लगभग १२६ किलोमीटर दूर है l दूसरा निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गाँधी नयी दिल्ली अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो लगभग १३३ किलोमीटर दूर है l

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशन मुज़फ्फरनगर है जो २८ किलोमीटर दूर हैं l

सड़क के द्वारा

भोपा प्राइवेट बस स्टैंड और मुज़फ्फरनगर रोडवेज बस स्टैंड से शुक्रताल के लिए नियमित बस सेवा है l शुक्रताल मुज़फ्फरनगर से २८ किलोमीटर दूर है l